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सचिन तेंदुलकर ने साझा की गुरुशरण सिंह की प्रेरणादायक कहानी
मुंबई: सचिन तेंदुलकर ने हाल ही में मुंबई में एक कार्यक्रम में बताया कि कैसे गुरुशरण सिंह के त्याग ने उन्हें भारतीय टीम में जगह दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस घटना ने उनके करियर की दिशा को हमेशा के लिए बदल दिया।
जब सचिन का क्रिकेट करियर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट की दुनिया में चमक रहा था, तब उनके पीछे की कहानियाँ और भी प्रेरक रही हैं। मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में मास्टर ब्लास्टर ने अपने शुरुआती समय की एक घटना साझा की, जिसने उनके करियर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। यह घटना न केवल उनके चयन की कुंजी बनी बल्कि वर्षों बाद तेंदुलकर को गुरुशरण सिंह के प्रति अपना वादा निभाने का भी अवसर दिया। यह प्रसंग क्रिकेट की भावना और साथियों की निष्ठा को उजागर करता है।
महत्वपूर्ण मैच: ईरानी कप
सचिन तेंदुलकर ने बताया कि **1989 में ईरानी कप** उनका असल ‘ट्रायल मैच‘ था। उस समय जब वह ‘रेस्ट ऑफ इंडिया’ की ओर से खेलने मैदान में थे, तब उनका स्कोर 85 रन था, और नौवां विकेट गिर गया। अगले बल्लेबाज गुरुशरण सिंह चोटिल थे और उनकी उंगली फ्रैक्चर हो चुकी थी, फिर भी राज सिंह डूंगरपुर के आग्रह पर उन्होंने अंतिम पारी खेलने का निर्णय लिया।
चोट के बावजूद योगदान
तेंदुलकर के अनुसार गुरुशरण सिंह का बल्लेबाजी करने का निर्णय असाधारण था। टूटी उंगली के बावजूद बल्लेबाज़ी करना चुनौतीपूर्ण था, लेकिन उनके इस त्याग ने सचिन को शतक पूरा करने में सहायता की। यही पारी सचिन के भारतीय टीम में चयन का आधार बनी।
त्याग की महत्ता
सचिन ने गुरुशरण सिंह का बार-बार धन्यवाद किया, क्योंकि उनका त्याग केवल क्रिकेट तक सीमित नहीं था, बल्कि यह मानवीय भावना का प्रतीक था। तेंदुलकर ने कहा कि उनका इरादा और सकारात्मक दृष्टिकोण हमेशा उनके दिल में गहराई से रचा-बचा रहा।
सचिन का वादा
सचिन तेंदुलकर ने कहा कि उस समय रिटायर हो रहे खिलाड़ियों के लिए चैरिटी मैच आयोजित किए जाते थे। उन्होंने न्यूजीलैंड में गुरुशरण सिंह से कहा कि, “गुशी, एक दिन तुम्हें रिटायर होना पड़ेगा, लेकिन जिस दिन तुम रिटायर होगे, मैं तुम्हारे चैरिटी मैच में हिस्सा लूंगा।” सचिन ने आगे कहा कि उन्हें खुशी है कि उन्होंने यह वादा निभाया।
चैरिटी मैच में भागीदारी
सचिन ने कहा कि उन्होंने गुरुशरण सिंह से वादा किया था कि वह उनके चैरिटी मैच में खेलेंगे और 15 साल बाद जब गुरुशरण ने इस मैच की मेज़बानी करने का फैसला किया, तब सचिन ने वहां पहुंचने का आश्वासन दिया। उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा कि यह घटना उनके जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह दर्शाती है कि क्रिकेटर होने से पहले इंसान होना कितना जरूरी है।
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