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केंद्र सरकार ने पेश किया ‘जी राम जी’ बिल
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र में एक महत्वपूर्ण विधेयक, जिसे विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) (VB-G RAM G) कहा जा रहा है, पेश किया है। इसे आमतौर पर ‘जी राम जी’ बिल के नाम से जाना जा रहा है। यह बिल मौजूदा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के स्थान पर लाया जा रहा है और ग्रामीण भारत में रोजगार प्रणाली को नया दिशा देगा।
बिल की प्रस्तुति
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में इस बिल को प्रस्तुत किया। विधेयक की प्रतियां पहले से ही सांसदों को वितरित की जा चुकी हैं। सरकार का कहना है कि यह बिल ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना और उत्पादक संपत्तियों के निर्माण पर जोर देना है।
बिल की मुख्य विशेषताएं
रोजगार गारंटी बढ़ना
नए बिल के तहत हर ग्रामीण परिवार को प्रति वर्ष 125 दिनों का मजदूरी रोजगार मिलेगा, जबकि मनरेगा में यह गारंटी 100 दिनों तक सीमित थी।
प्राथमिकता वाले क्षेत्र
इस मिशन में जल सुरक्षा, ग्रामीण अवसंरचना, आजीविका और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी जाएगी। मिशन अमृत सरोवर जैसे कार्यक्रमों को विशेष महत्त्व दिया जाएगा।
भुगतान की नई व्यवस्था
सप्ताहिक भुगतान की व्यवस्था (वीकली पेमेंट) का प्रावधान किया गया है, जो मनरेगा की 15 दिनों की प्रक्रिया से बेहतर है।
सीजनल ब्रेक
बुआई के मौसम के दौरान श्रमिकों को 60 दिनों का ब्रेक दिया जाएगा।
बेरोजगारी भत्ता
अगर श्रमिकों को रोजगार नहीं मिलता है, तो उन्हें बेरोजगारी भत्ते का लाभ दिया जाएगा।
आधुनिक प्रणाली
यह बिल एक उच्च तकनीकी और पारदर्शी व्यवस्था को भी स्थापित करेगा, जिसमें नई फंडिंग की व्यवस्था शामिल होगी।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
सरकार का दावा है कि यह बिल मनरेगा का आधुनिक रूप है, जिससे ग्रामीण विकास को नई ऊर्जा मिलेगी। हालांकि, विपक्ष ने इस विधेयक पर कड़ी आलोचना की है। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने यह सवाल उठाया है कि मनरेगा से महात्मा गांधी का नाम क्यों हटाया गया है? विपक्ष का आरोप है कि यह योजना का नाम बदलकर केवल ब्रांडिंग करने का प्रयास है, जिससे सदन में हंगामे की संभावना जताई जा रही है।
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