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नई दिल्ली: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का निधन लंबी बीमारी के बाद हुआ। उनकी आयु 80 वर्ष थी। खालिदा जिया का परिवार बांग्लादेश की राजनीति में तो प्रख्यात है, लेकिन उनके योगदान का क्रिकेट के क्षेत्र में भी कोई मुकाबला नहीं है।
उनके बड़े बेटे तारिक रहमान ने राजनीतिक करियर को चुना और वर्तमान में वे बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी के प्रमुख नेता हैं। वहीं, उनके छोटे बेटे अराफात रहमान कोको ने क्रिकेट को अपना जीवन समर्पित किया और बांग्लादेश क्रिकेट को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
परिवार की पृष्ठभूमि और अलग रास्ता
अराफात रहमान कोको का जन्म 12 अगस्त 1969 को हुआ था। उनका परिवार राजनीतिक पृष्ठभूमि से भरा हुआ था; उनके पिता जियाउर रहमान बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति रहे, जबकि मां खालिदा जिया तीन बार प्रधानमंत्री रह चुकी थीं। उनके बड़े भाई तारिक ने राजनीतिक कार्यों को अपनाया, जबकि अराफात ने क्रिकेट का मार्ग चुना।
क्लब स्तर से शुरुआत
अराफात की क्रिकेट यात्रा क्लब स्तर पर शुरू हुई थी। वे ओल्ड डीओएचएस स्पोर्ट्स क्लब के अध्यक्ष बने और उनके नेतृत्व में क्लब ने प्रगति की, प्रीमियर डिवीजन में स्थान पाया। उन्होंने उत्कृष्ट कोच विशेषज्ञ नियुक्त किए, बेहतर पिचों का विकास किया और आधुनिक सुविधाएँ प्रदान कीं।
उनके कार्यकाल में क्लब ने दो बार चैंपियनशिप जीती, और इसी दौरान कई युवा खिलाड़ियों ने अपने करियर की शुरुआत की, जैसे तमीम इकबाल। अराफात ने व्यापारियों को क्रिकेट में निवेश के लिए प्रेरित किया, जिससे क्लबों को मजबूती मिली।
बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड में भूमिका
2001 में जब खालिदा जिया पुनः प्रधानमंत्री बनीं, तब अराफात के पास सरकार में बड़ा पद लेने का विकल्प था। लेकिन उन्होंने बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड (BCB) की विकास समिति के अध्यक्ष पद को प्राथमिकता दी, जिस पर वे 2002 से 2005 तक रहे।
उनके कार्यकाल के दौरान क्रिकेट की आधारभूत संरचना में मजबूती आई। उन्होंने मीरपुर का शेर-ए-बांग्ला नेशनल क्रिकेट स्टेडियम, बोगरा, चटगांव, सिलहट और खुलना जैसे कई शहरों में अंतरराष्ट्रीय स्तर के मैदानों का विकास कराया।
युवा खिलाड़ियों पर दिया ध्यान
अराफात ने युवा प्रतिभाओं पर विशेष ध्यान दिया। उनके समय में शाकिब अल हसन, मुश्फिकुर रहीम और तमीम इकबाल जैसे स्टार खिलाड़ियों ने जगह बनाई। उन्होंने हाई परफॉर्मेंस यूनिट की शुरुआत की और एज ग्रुप क्रिकेट को नया रूप दिया।
2004 में, बांग्लादेश ने अंडर-19 विश्व कप की मेजबानी की, जो बड़ी सफलता थी। इसके अतिरिक्त, उन्होंने टी20 क्रिकेट की नींव रखी, जो बाद में बांग्लादेश प्रीमियर लीग (BPL) का आधार बनी। हालाँकि, दुर्भाग्यवश 24 जनवरी 2015 को हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया, वे मात्र 45 वर्ष के थे।
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