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गौतम गंभीर की कोचिंग पर कपिल देव की राय
कोलकाता। भारत के पूर्व वर्ल्ड कप विजेता कप्तान कपिल देव ने गौतम गंभीर की कोचिंग शैली पर आई आलोचनाओं के बीच गुरुवार को कहा कि आज की क्रिकेट में मुख्य कोच की भूमिका खिलाड़ियों को सीधे कोचिंग देने से ज्यादा उनकी ‘प्रबंधन’ करने की होती है। हाल ही में साउथ अफ्रीका से टेस्ट सीरीज में 0-2 से हार के बाद गंभीर को भारत के मुख्य कोच के रूप में काफी आलोचना का सामना करना पड़ा है। उनके खिलाड़ियों को रोटेट करने और स्थायी खिलाड़ियों पर निर्भर रहने की रणनीति पर सवाल उठाए गए हैं। कपिल ने बताया कि आज के क्रिकेट में ‘कोच’ शब्द को सही तरीके से नहीं समझा जाता है।
कोच और प्रबंधक की भूमिका
कपिल देव ने इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स के शताब्दी सत्र में अपने विचार साझा करते हुए कहा, “आज ‘कोच’ शब्द बहुत सामान्य हो गया है। गौतम गंभीर केवल कोच नहीं हो सकते; वह टीम के मैनेजर हो सकते हैं।” उनका मानना है कि असली कोच वो होते हैं जिनसे लोग स्कूल और कॉलेज में सीखते हैं। “आप एक कोच कैसे हो सकते हैं? गौतम एक लेग स्पिनर या विकेटकीपर के कोच कैसे बन सकते हैं?” उन्होंने सुझाव दिया कि कोच की बजाय एक मैनेजर का काम करना अधिक महत्वपूर्ण है, जो खिलाड़ियों को प्रोत्साहित कर सके।
सुनील गावस्कर का योगदान
कपिल ने यह भी कहा कि अगर सुनील गावस्कर आज के दौर में खेलते, तो वह सर्वश्रेष्ठ टी20 बल्लेबाज होते। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि क्रिकेट में हर प्रारूप का उनका प्यार है — चाहे वह टी20 हो, टी10 या वनडे। “मैं हमेशा कहता हूं कि यदि गावस्कर इस युग में खेलते, तो वह टी20 में भी सबसे बेहतर खिलाड़ी होते,” कपिल ने कहा।
मिताली राज की यादें
भारतीय महिला टीम की पूर्व कप्तान मिताली राज ने भी अपने अनुभव साझा किए, जब भारत ने हाल ही में घरेलू मैदान पर विश्व कप जीता। उन्होंने कहा, “उस कप पर ‘इंडिया’ लिखा देखकर एक अजीब सी भावना हुई। जब बार-बार फाइनल के लिए क्वालीफाई करते हैं, तो फोटो शूट होता है, और आप केवल ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और न्यूजीलैंड को देखते हैं।” मिताली ने बताया कि वह दो बार उस मौके पर थीं और उन्हें ट्रॉफी के साथ फोटो खिंचवाने का अवसर मिला। “हर बार ऐसा लगता था कि कब हम वहां ‘इंडिया’ देख पाएंगे, और आखिरकार, हमें वह पल मिला।
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