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झारखंड को GRAMG योजना से होगा भारी आर्थिक नुकसान
केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित विकसित भारत – गारंटी फार रोजगार एवं आजीविका मिशन योजना (GRAMG) के कार्यान्वयन से झारखंड पर 1500 करोड़ रुपये से अधिक का वित्तीय भार पड़ने की आशंका है। मनरेगा के अंतर्गत प्रस्तावित परिवर्तनों के कारण राज्य को निरंतर नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। विशेष रूप से, मजदूरी भुगतान की जिम्मेदारी केंद्र सरकार के हाथों से हटने से स्थिति और भी गंभीर हो गई है।
मनरेगा के तहत मजदूरी का समग्र भुगतान केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है, जबकि नई योजना के अंतर्गत सामग्रियों एवं मजदूरी के लिए सरकारी योगदान का अनुपात 60:40 हो जाएगा। इससे राज्य सरकार पर आर्थिक बोझ बढ़ने की संभावना है, जिसमें सामग्री मद में अकेले 700 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च शामिल होगा।
मनरेगा पर झामुमो का गंभीर आरोप
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने केंद्र सरकार पर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को समाप्त करने की साजिश का आरोप लगाया है। पार्टी ने कहा कि केंद्र सरकार मनरेगा मजदूरों के अधिकारों पर हमले की योजना बना रही है और इसके लिए नए कानून का मसौदा तैयार किया जा रहा है।
झामुमो ने अपने बयान में कहा कि महात्मा गांधी की विचारधारा को पिछले 11 वर्षों में कमजोर किया जा रहा है और इसी संदर्भ में मनरेगा जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को समाप्त करने की योजना है।
मजदूरों के अधिकारों पर हमला
झामुमो के अनुसार, यह केवल नाम में बदलाव भर नहीं है, बल्कि वास्तव में ग्रामीण मजदूरों के काम के अधिकार को समाप्त करने का प्रयास है। मनरेगा एक ऐसा कानून है जो ग्रामीण मजदूरों को रोजगार की गारंटी देता है, जबकि प्रस्तावित योजना में यह अधिकार खत्म कर दिया जाएगा।
पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि नई व्यवस्था के तहत कुछ महीनों तक काम के अधिकार को भी सीमित किया जा रहा है। इसके अलावा, केंद्र सरकार द्वारा प्रत्येक राज्य को दिए जाने वाले बजट पर भी नियंत्रण रखा जाएगा। यदि बजट की मांग अधिक हुई, तो केंद्र अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेगा।
राज्य को खनिज संसाधनों का उचित हिस्सा नहीं
झामुमो ने यह भी बताया कि केंद्र सरकार झारखंड के खनिज संसाधनों से प्राप्त होने वाली आय का उचित हिस्सा राज्य को नहीं दे रही है। वहीं, ग्रामीण रोजगार योजना में राज्य से 40 प्रतिशत खर्च उठाने की बात की जा रही है। पार्टी ने मांग की है कि केंद्रीय सरकार पहले झारखंड के बकाया 1.36 लाख करोड़ रुपये और अन्य योजनाओं के लिए पूरी राशि अदा करे।
झामुमो ने दोहराया कि उनकी सरकार गरीबों और मजदूरों के अधिकारों के लिए प्रतिबद्ध है और किसी भी स्थिति में मजदूरों के अधिकारों को समाप्त नहीं होने दिया जाएगा। यदि मनरेगा कानून को खत्म करने का प्रयास किया गया, तो झारखंड के मजदूर सड़क से संसद तक संघर्ष के लिए तैयार रहेंगे।
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