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रांची में झारखंड हाईकोर्ट के जज के साथ फ्रॉड का मामला
रांची: झारखंड की राजधानी रांची में एक अदालती मामले से जुड़ा फ्रॉड सामने आया है। लालपुर थाना क्षेत्र में अवैध भूमि कब्जे और जाली दस्तावेजों के आधार पर भूमि खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया गया है। पीड़ित अनिल कुमार नाथ ने स्थानीय थाना प्रभारी को लिखित शिकायत दी है, जिसमें उन्होंने कहा है कि उनकी पैतृक जमीन को दलालों के एक समूह ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर बेचा है।
पीड़ित की शिकायत और जमीन का इतिहास
अनिल कुमार नाथ ने आरोप लगाया है कि उनके पूर्वज गोरखनाथ के नाम से 1 एकड़ 10 डिसमिल जमीन रजिस्टर की गई थी। उन्होंने बताया कि इस भूमि का लगभग 22 कट्ठा हिस्सा 1996 में जगेश्वर नाथ के माध्यम से विधिवत बिक्री की गई थी। बाकी 44 कट्ठा भूमि उनके और उनके चाचा, जो झारखंड हाईकोर्ट में न्यायाधीश हैं, के हिस्से में आती है।
कथित षड्यंत्र और जाली दस्तावेज
शिकायत में सुभाष भंडारी, सष्टी भंडारी, अशोक कुमार विश्वकर्मा और अन्य व्यक्तियों पर आरोप लगाया गया है कि इन्होंने बीडीओ कोर्ट के नाम से एक जाली दस्तावेज तैयार किया। इस दस्तावेज का उपयोग कर आरोपियों ने जमीन की बिक्री की। पीड़ित को यह जानकारी 4 अक्टूबर को राजेश कुमार वर्मा द्वारा प्राप्त हुई थी, जब जांच में इन दस्तावेजों को फर्जी पाया गया। अनिल का कहना है कि रांची में कभी भी बीडीओ कोर्ट अस्तित्व में नहीं रहा, इसलिए यह दस्तावेज पूरी तरह से जालसाजी है।
पुलिस की कार्रवाई और जांच की प्रक्रिया
प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच शुरू कर दी है। न्यायिक अभिलेखों का हवाला देते हुए बताया गया है कि ऐसी ही एक जांच पहले भी मजिस्ट्रेट की अदालत में हो चुकी है, जिसमें दस्तावेजों को फर्जी करार दिया गया था। पुलिस ने मामला दर्ज किया है और एसआई पंकज कुमार शर्मा को जांच की जिम्मेदारी दी गई है। पुलिस का कहना है कि दस्तावेजों और आरोपों की गहन जांच की जाएगी और सत्यापन के बाद उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
पीड़ित का संदेह और उच्च न्यायालय का बयान
अनिल कुमार नाथ ने यह भी आशंका जताई है कि एक संगठित दलाल गिरोह उनके पारिवारिक भू-स्वामित्व को धोखे से हड़पने का प्रयास कर रहा है। हाईकोर्ट के जज ने बताया है कि भतीजे द्वारा प्राथमिकी दर्ज कराई गई है, जिसमें कहा गया है कि संबंधित जमीन उनके दादा के नाम पर थी। इस भूमि पर कई फ्लैट भी तैयार हैं। डीसी की जांच रिपोर्ट में प्रस्तुत दस्तावेजों को फर्जी बताया गया है।
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