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स्पोर्ट्स: भारतीय जूनियर पुरुष हॉकी टीम ने एक अद्वितीय उपलब्धि हासिल की है। तमिलनाडु के एक स्टेडियम में आयोजित मुकाबले में भारत ने अर्जेंटीना को 4-2 से हराकर पहली बार जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप में कांस्य पदक अपने नाम किया।
आखिरी 15 मिनट में वापसी
दिलचस्प बात यह रही कि भारतीय टीम हाफ टाइम तक 0-1 और तीसरे क्वार्टर के अंत तक 0-2 से पीछे थी। लेकिन अंतिम क्वार्टर में उन्होंने जोरदार वापसी की। भारतीय खिलाड़ियों ने अंतिम 15 मिनट में पूरी ताकत झोंकते हुए कांस्य पदक की ओर बढ़ते हुए न केवल स्कोर को बराबर किया, बल्कि ऐतिहासिक जीत भी दर्ज की।
खिलाड़ियों का बेहतरीन प्रदर्शन
तीसरे क्वार्टर के समाप्ति के समय अर्जेंटीना ने सैंटियागो फर्नांडीज के गोल की मदद से 2-0 की बढ़त बना ली। इस स्थिति में भारत पर भारी दबाव था, लेकिन अंतिम 15 मिनट में खिलाड़ियों ने अपनी पूरी ताकत लगा दी। जब मैच खत्म होने में 11 मिनट बचे थे, तब अंकित पाल ने पेनल्टी कॉर्नर पर गोल कर स्कोर 1-2 कर दिया। इसके तुरंत बाद मनमीत सिंह ने एक और पेनल्टी कॉर्नर को गोल में बदलकर स्कोर को 2-2 कर दिया।
जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप में ऐतिहासिक जीत
मैच का रुख बदलने से भारतीय खिलाड़ियों का उत्साह चरम पर पहुंच गया। टीम को फिर एक पेनल्टी स्ट्रोक मिला, और शारदानंद तिवारी ने तीन मिनट शेष रहते हुए गोल कर भारत को 3-2 की बढ़त दिलाई। अंत में, जब अर्जेंटीना ने गोलकीपर को हटा दिया, तब इक्का सिंह ने एक और पेनल्टी कॉर्नर को गोल बनाकर जीत को 4-2 से सुनिश्चित कर दिया।
स्टेडियम में जश्न का माहौल
जैसे ही फाइनल सीटी बजी, स्टेडियम में खुशी की लहर दौड़ गई और भारतीय हॉकी टीम ने एक नया इतिहास बना दिया। अंतिम क्वार्टर में चार गोल कर भारतीय टीम ने जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप में देश को पहला कांस्य पदक दिलाया और घरेलू दर्शकों को जश्न मनाने का अवसर दिया।
9 साल बाद मिला पदक
भारत की जूनियर हॉकी टीम अब तक दो बार खिताब जीत चुकी है, 2001 और 2016 में। करीब 9 वर्षों के बाद, भारत ने जूनियर हॉकी वर्ल्ड कप में कोई पदक जीता है।
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