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झारखंड शराब घोटाला: ईडी ने तीन आरोपितों से की पूछताछ
झारखंड के शराब घोटाले में मनी लांड्रिंग के मामले की जांच कर रही प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में मेसर्स विजन हास्पिटालिटी सर्विसेज एंड कंस्ल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के तीन आरोपितों से पूछताछ की। इन लोगों में परेश अभेसिंह ठाकोर, विक्रमासिंह अभेसिंह ठाकोर और महेश शिडगे शामिल हैं।
गिरफ्तारी संबंधी जानकारी
सभी आरोपित गुजरात के निवासी हैं। एसीबी झारखंड की टीम ने इन लोगों को शराब घोटाले से संबंधित एक मामले में 14 अक्टूबर को गिरफ्तार किया था। एसीबी द्वारा दर्ज मामले के अनुसार, ईडी ने पीएमएल अधिनियम के तहत 28 नवंबर को एक नया इंफोर्समेंट केस इंफार्मेशन रिपोर्ट (ईसीआइआर) दर्ज किया है।
छापेमारी और आरोप
ईडी की टीम ने पीएमएलए की विशेष अदालत से अनुमति प्राप्त करने के बाद कारा होटवार पहुंची। अधिकारियों का आरोप है कि इन एजेंसियों ने हजारीबाग, चतरा और कोडरमा में शराब दुकानों के ठेके के लिए फर्जी बैंक गारंटी का उपयोग किया। इस घोटाले के कारण झारखंड राज्य बेवरेजेज कारपोरेशन लिमिटेड (जेएसबीसीएल) को 38 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
अन्य गिरफ्तारियाँ और आरोप
ईडी ने अपने हालिया ईसीआइआर में तत्कालीन उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे और अन्य अधिकारियों पर पद के दुरुपयोग का आरोप लगाया है। इन पर नियमों का उल्लंघन करते हुए चहेती एजेंसियों को ठेके देने का भी आरोप लगा है। मेसर्स विजन हास्पिटालिटी (गुजरात) और मेसर्स मार्शन इनोवेटिव सिक्यूरिटी सर्विसेज (महाराष्ट्र) पर फर्जी बैंक गारंटी के जरिए ठेके हासिल करने का आरोप है।
पूर्व गिरफ्तारी मामले
इससे पहले झारखंड एसीबी ने 11 आरोपित आइएएस अधिकारियों को गिरफ्तार किया था, जिनमें विनय कुमार चौबे, संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह और पूर्व महाप्रबंधक सुधीर कुमार दास शामिल हैं। निर्धारित 90 दिनों में चार्जशीट दाखिल नहीं होने के कारण सभी को जमानत मिल गई थी। वर्तमान में विनय कुमार चौबे और उनके करीबी विनय सिंह हजारीबाग के जमीन घोटाले मामले में जेल में हैं।
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