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पलामू में ऑनलाइन बेटिंग नेटवर्क का पर्दाफाश
पलामू में पुलिस ने महादेव बेटिंग ऐप जैसे एक बड़े ऑनलाइन बेटिंग नेटवर्क का खुलासा किया है, जो खेलोयार साइट के माध्यम से प्रतिदिन सैकड़ों करोड़ रुपये का लेन-देन कर रहा था। हुसैनाबाद में की गई छापेमारी में पुलिस ने सात आरोपियों को गिरफ्तार किया। इस नेटवर्क का संचालन छत्तीसगढ़ के भिलाई से हो रहा था, जबकि इसका सर्वर दुबई में स्थित था। पलामू के एसपी रीष्मा रमेशन ने जानकारी दी कि यह नेटवर्क केवल खेलोयार साइट की फ्रेंचाइजी के रूप में कार्यरत था।
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान
पुलिस ने हुसैनाबाद अनुमंडल कार्यालय के पास कुछ युवकों की संदिग्ध गतिविधियों की सूचना मिलने पर कार्रवाई की। छापेमारी में गिरफ्तार किए गए आरोपियों में राहुल सिंह (भिलाई, छत्तीसगढ़), सुजीत कुमार विश्वकर्मा (मदनपुर, बिहार), अजित कुमार विश्वकर्मा (मदनपुर, बिहार), रोहित कुमार सिंह (मदनपुर, बिहार), जुबेर अंसारी (बोकारो) अयाज आलम (रामगढ़) और अक्षय कुमार (रांची) शामिल हैं। ये सभी आरोपी हुसैनाबाद के एक किराए के मकान में ऑनलाइन बेटिंग का संचालन कर रहे थे।
नेटवर्क के कारोबार का विवरण
गिरफ्तार आरोपियों का फ्रेंचाइजी नंबर 141 है, जो प्रतिदिन 5 से 7 लाख रुपये तक का लेन-देन कर रहा था और इस नेटवर्क से 5 से 6 हजार सदस्य जुड़े हुए थे। अन्य फ्रेंचाइजी दिन में 50 से 60 लाख रुपये तक का लेन-देन करती थीं। इस नेटवर्क के मुख्य मास्टरमाइंड बिहार के औरंगाबाद का राजन कुमार सिंह और छत्तीसगढ़ के भिलाई का शेल्वी उर्फ मनीष हैं।
म्युल अकाउंट और हवाला चैनल का उपयोग
हजारीबाग पुलिस को जानकारी मिली थी कि कुछ संदिग्ध लोग म्युल अकाउंट खोलने का प्रयास कर रहे थे। इस सूचना के आधार पर पुलिस ने पूरी मुहिम शुरू की, जिसमें म्युल बैंक अकाउंट, क्रिप्टोवालेट और हवाला चैनल का उपयोग किया जा रहा था। दुबई में स्थित प्रमोटर हर फ्रेंचाइजी को लेन-देन का 30 प्रतिशत कमीशन प्रदान करता था। साथ ही, फ्रेंचाइजी अपने संचालन के लिए 10 से 15 म्युल बैंक खातों का उपयोग करती थीं।
पूर्व अनुभव और रणनीति
पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि मास्टरमाइंड शेल्वी उर्फ मनीष और राजन कुमार सिंह ने पहले पुणे तथा अन्य बड़े शहरों में दूसरे बेटिंग एप्स से प्रशिक्षण लिया था। इसके बाद, उन्होंने दुबई के प्रमोटर के साथ मिलकर अपना नेटवर्क स्थापित किया। इन दोनों ने उन युवाओं को फ्रेंचाइजी दी जो नौकरी की तलाश में गांव से बाहर जाने वाले, कम पढ़े-लिखे और आर्थिक रूप से कमजोर थे। इन्हें लालच देकर फ्रेंचाइजी दी जाती थी और फिर साइबर फ्रॉड के जरिए आर्थिक धोखाधड़ी की जाती थी।
अवैध कारोबार का आकार
खेलोयार साइट के सभी सर्वर दुबई में हैं, और इस नेटवर्क का फैलाव भारत के अलावा कई अन्य देशों में है। अनुमान के अनुसार, इसका अवैध कारोबार लगभग 40 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। लेन-देन के लिए क्रिप्टोकरेंसी और हवाला का प्रयोग किया जाता था, जिससे पैसों के प्रवाह की जांच करना चुनौतीपूर्ण हो जाता था।
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