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लोहरदगा में बाबूलाल मरांडी का सरकार पर हमला
लोहरदगा : झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने बुधवार को लोहरदगा जिला परिसदन में मीडिया से संवाद करते हुए राज्य सरकार पर कठोर आलोचना की। मरांडी ने कहा कि वर्तमान झारखंड सरकार ने जनता को केवल धोखा दिया है, इसे अबुआ सरकार नहीं, ठगुआ सरकार कहा जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव के दौरान अपने वादों को निभाने में सरकार बिल्कुल विफल रही है।
जन कल्याण योजनाओं की विफलता
मरांडी ने चुनावी वादों की याद दिलाते हुए कहा कि गरीब, वृद्ध, विधवा और दिव्यांग के कल्याण की योजनाएं उपेक्षित हैं। मंइयां सम्मान योजना उन लोगों तक नहीं पहुँच रही है, जिन्हें इसकी सबसे अधिक जरूरत है। गैस सिलेंडर की कीमत को 450 रुपये पर स्थिर करने का वादा मात्र एक चुनावी वादा बनकर रह गया है। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा एक लाख रोजगार उपलब्ध कराने के वादे का भी जिक्र किया और प्रश्न किया कि यह रोजगार कहां है।
आउटसोर्सिंग कंपनियों का ठगी का मामला
बाबूलाल मरांडी ने कहा कि आउटसोर्सिंग कंपनियां बहाली के नाम पर युवाओं से लाखों रुपये की ठगी कर रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस मामले में कोई गंभीर कार्रवाई नहीं कर रही है। प्रखंड और जिला स्तर पर तकनीकी शिक्षा को बहाल करने का वादा भी अब तक अधूरा है।
किसानों का मुद्दा और मुआवजे की कमी
मरांडी ने धान खरीद नीति को लेकर भी सवाल उठाए और कहा कि राज्य में कोई स्पष्ट नीति नहीं है, जिससे बिचौलियों को लाभ मिल रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि मार्च में हुई ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों को अब तक मुआवजा नहीं मिला है।
चाईबासा की घटना का गंभीर संज्ञान
चाईबासा में बच्चों की मौत की घटना को बेहद दुखद बताते हुए मरांडी ने संबंधित विभागीय मंत्री को बर्खास्त करने की मांग की, ताकि पीड़ित परिवारों को न्याय मिल सके।
भ्रष्टाचार के आरोप
नेता प्रतिपक्ष ने राज्य में चल रहे विभिन्न घोटालों का जिक्र किया। उन्होंने शराब घोटाले की चर्चा करते हुए कहा कि पड़ोसी राज्य ने मामले को सीबीआई को सौंपा, जिसके तार झारखंड से जुड़े हुए पाए गए। उन्होंने डीएमएफटी फंड में भारी गड़बड़ियों का भी आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार के प्रतिनिधि विकास कार्य करने के बजाय अपनी सुविधाओं में बढ़ोतरी करने में लगे हैं।
झारखंड की डेमोग्राफी में बदलाव
मरांडी ने विशेष पहचान रजिस्टर (एसआईआर) की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि राज्य की जनसांख्यिकी तेजी से बदल रही है, और आदिवासी आबादी में गिरावट के कारण, यह मुद्दा गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
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