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पीएम मोदी का संसद के शीतकालीन सत्र में संदेश
नई दिल्ली. संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि यह सत्र केवल एक औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र की प्रगति के प्रयासों को और तेज गति प्रदान करेगा। उन्होंने भारतीय लोकतंत्र की खुशहाली और नागरिकों की भागीदारी की आवश्यकता पर जोर दिया, खासकर हालिया बिहार चुनाव में देखा गया मतदान उत्साह इसे दर्शाता है।
लोकतंत्र और आर्थिक विकास
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने यह साबित कर दिया है कि लोकतंत्र विकसित हो सकता है और सफलताएँ हासिल कर सकता है। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि भारत की आर्थिक स्थिति लगातार ऊँचाइयों की ओर बढ़ रही है, जो देशवासियों में एक नया विश्वास जगाती है। उन्होंने विपक्ष से अपील की कि वे सकारात्मक चर्चा करें और पराजय की निराशा को सदन की कार्यवाही में दखल देने का अवसर न दें।
विपक्ष की भूमिका पर विचार
पीएम मोदी ने विपक्ष को सलाह देते हुए कहा कि उन्हें अपने दृष्टिकोण में बदलाव लाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि वे सदन में अपने कार्यों में सुधार लाना चाहते हैं, तो उन्हें सांसदों के बोलने के अधिकार का सम्मान करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि सदन को विवाद के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्रनिर्माण के लिए एक मंच होना चाहिए।
नवीन सांसदों को अवसर देने की आवश्यकता
प्रधानमंत्री ने सदन में पहली बार आए नवागंतुक सांसदों के हक के प्रति चिंता व्यक्त की और कहा कि उन्हें अपने विचार प्रकट करने का अवसर मिलना चाहिए। उनका मानना है कि इन सांसदों के अनुभवों का लाभ पूरे सदन को मिलना चाहिए। उन्होंने युवा सांसदों को संसद की गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल करने की आवश्यकता पर बल दिया।
सकारात्मक सोच की जरूरत
मोदी ने कहा कि सदन का कार्य लोकतांत्रिक नारेबाजी से नहीं, बल्कि ठोस नीतियों के साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने आग्रह किया कि सभी दल इस प्रक्रिया में संतुलन बनाए रखें और राष्ट्र के कल्याण के लिए सही दिशा में कदम बढ़ाएं।
समाज के लिए जिम्मेदारियों का निर्वहन
प्रधानमंत्री ने विपक्ष को याद दिलाया कि उन्हें पराजय से सबक लेकर आगे बढ़ना चाहिए और संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए। इस सत्र में प्रभावी चर्चा और विचार-विमर्श को प्रोत्साहित करने का समय है, ताकि देश की जनतान्त्रिक प्रक्रिया और मज़बूत हो सके।
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