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मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की अध्यक्षता में सिद्धकोफेड की बैठक
रांची: झारखंड विधानसभा के मुख्यमंत्री सभागार में सिद्धो-कान्हो कृषि एवं वनोपज राज्य सहकारी संघ लिमिटेड (सिद्धकोफेड) की निदेशक मंडल की चौथी बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में कृषि एवं वनोपज के क्षेत्र को मजबूत करने, किसानों की आय दोगुनी करने, स्थानीय उत्पादों को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने और डिजिटल तकनीक के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाने पर चर्चा की गई।
किसानों की समृद्धि प्राथमिकता
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड की आर्थिक संरचना में खेती और वनोपज मुख्य हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि किसानों को उत्पादन से लेकर विपणन तक हर कदम पर सहायता मिलनी चाहिए, ताकि उनकी उपज का उचित मूल्य समय पर उनके खाते में पहुंचे। भुगतान में देरी को सहन नहीं किया जाएगा, यह उनका स्पष्ट निर्देश था।
किसानों के लिए डिजिटल समाधान
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि किसानों के लिए एक विशेष मोबाइल ऐप विकसित किया जाए। इस ऐप में फसल बिक्री, बाजार भाव, कृषि सामग्री, मौसम की जानकारी और भुगतान की स्थिति की वास्तविक समय में जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अतिरिक्त, एक स्थानीय कृषि पोर्टल बनाने की बात भी सामने आई, जिससे उपभोक्ता सीधे किसानों से ताजा उत्पाद खरीद सकें और बिचौलियों की भूमिका समाप्त हो सके।
किसान पाठशाला और प्रशिक्षण
मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर दिशा देने के लिए “किसान पाठशाला” को मजबूत किया जाएगा। इसके साथ ही, आधुनिक कृषि तकनीक और मूल्य संवर्धन पर वीडियो आधारित प्रशिक्षण मॉड्यूल तैयार किए जाएंगे, जिससे दूर-दराज के किसान भी घर से नई तकनीक सीख सकें।
स्थानीय उत्पादों का वैश्विक बाजार में प्रवेश
बैठक में झारखंड के विशिष्ट वनोपज जैसे लाह, इमली, महुआ, करंज, चिरौंजी, कोदो-कुटकी और तसर के उत्पादन, प्रसंस्करण एवं विपणन को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष कार्ययोजना को मंजूरी दी गई। मुख्यमंत्री ने इन उत्पादों को राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय ब्रांड बनाने की दिशा में प्रयास करने की बात कही।
जल संरक्षण की जिम्मेदारी
मुख्यमंत्री ने चेक डैक डैमों और जल संरचनाओं की देखरेख जल सहिया समितियों एवं किसान समूहों को सौंपने का सुझाव दिया। इससे जल संरक्षण के साथ-साथ ग्रामीणों को स्थायी आजीविका भी प्राप्त होगी।
बैठक में कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की, मुख्य सचिव अविनाश कुमार, सचिव अबु बकर सिद्दीक, कृपानंद झा, अरवा राजकमल सहित अन्य वरीय अधिकारी एवं बोर्ड सदस्य उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने अंत में कहा, “जल, जंगल और जमीन से ही झारखंड का विकास संभव है और यही हमारे किसान-वनवासी भाई-बहनों के सशक्तिकरण का आधार बनेगा। योजनाओं में पारदर्शिता ही किसानों की सच्ची सशक्तता की कुंजी होगी।”
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