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वाटर प्यूरीफायर: वर्तमान में हमारा पर्यावरण इस स्थिति में पहुँच चुका है कि स्वच्छ हवा और पानी प्राप्त करना किसी खजाने से कम नहीं रहा. ये दोनों चीजें स्वस्थ जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक हैं, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां वायु प्रदूषण अधिक है. ऐसे में साफ पेयजल की आवश्यकता और भी बढ़ जाती है. हालांकि, अधिकतर लोग भूल जाते हैं कि हर स्थान पर पानी की गुणवत्ता भिन्न हो सकती है. यदि आपने गलत वॉटर प्यूरीफायर चुना, तो यह सुनिश्चित नहीं है कि पानी पूरी तरह शुद्ध होगा, जिसका प्रतिकूल प्रभाव आपकी सेहत पर पड़ सकता है.
किसी भी प्यूरीफायर (Water Purifier) को खरीदने से पहले, सबसे आवश्यक है कि आप अपने पानी की गुणवत्ता को समझें. आपके घर में आने वाले पानी के अनुसार वॉटर प्यूरीफायर की तकनीक का चुनाव करना चाहिए, न कि केवल मार्केटिंग पर भरोसा करना चाहिए. आइए इस विषय में विस्तार से जानते हैं.
अपने पानी का TDS समझें
TDS यानि Total Dissolved Solids, यह बताता है कि आपके पानी में कितनी सभी तरह की घुली हुई सामग्री, जैसे नमक, मिनरल्स और भारी धातुएं, मौजूद हैं.
- 300 ppm से कम: आमतौर पर यह म्युनिसिपल पानी होता है और पीने लायक होता है, हालाँकि इसमें बैक्टीरिया या क्लोरीन हो सकते हैं.
- 300-500 ppm: इसे ठीक-ठाक माना जाता है, लेकिन इसमें रसायनिक अशुद्धियाँ हो सकती हैं.
- 500 ppm से ज्यादा: यह काफी उच्च TDS होता है, जिससे पानी ज्यादातर बोरवेल या टैंकर में मिलता है. इसके लिए उच्च पौष्टिकता की आवश्यकता होती है.
यह क्यों जरूरी है?
आपको RO, UV, UF या इनका संयोजन में से कौन सा वॉटर प्यूरीफायर (Water Purifier) लेना चाहिए, यह पूरी तरह से आपके पानी के TDS पर निर्भर करता है. एक साधारण डिजिटल TDS मीटर या प्रयोगशाला परीक्षण से आप यह मान आसानी से जान सकते हैं.
सही प्यूरीफिकेशन टेक्नोलॉजी चुनें
RO (Reverse Osmosis)
यह फिल्ट्रेशन टेक्नोलॉजी उच्च TDS वाले पानी के लिए होती है. यदि आप बोरवेल का पानी या मिश्रित स्रोत का पानी इस्तेमाल कर रहे हैं (TDS 500 ppm से अधिक), तो RO सबसे उपयुक्त है. यह पानी की कठोरता, भारी धातुएं (जैसे लीड, आर्सेनिक), बैक्टीरिया और नमक को पूरी तरह हटा देता है और सूक्ष्मजीवों को भी समाप्त कर देता है.
UV (Ultraviolet)
यह कम TDS वाले म्युनिसिपल पानी के लिए उत्तम है. म्युनिसिपल पानी पहले से ही उपचारित होते हैं, लेकिन इसके साथ ही बैक्टीरिया या वायरस का खतरा रहता है. UV तकनीक तत्काल उन कीटाणुओं को खत्म कर देती है, परंतु यह TDS को कम नहीं करता.
UF (Ultrafiltration)
यह तब अच्छा होता है जब पानी पहले से काफी साफ हो. यह पानी में मौजूद मिट्टी, कीचड़, बैक्टीरिया, बड़े कण और सस्पेंडेड पार्टिकल्स को हटा देता है. इसकी विशेषता ये है कि यह बिना बिजली के भी काम करता है और पानी की बर्बादी नहीं करता.
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