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अमेरिका में कंपनियों के दिवालिया होने की संख्या में वृद्धि
नई दिल्ली: डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ को लाभदायक बताने के बावजूद, अमेरिका में स्थिति इसके विपरीत नजर आ रही है। 2025 में कंपनियों के दिवालिया होने के मामलों में भारी वृद्धि हुई है, जो पिछले 15 वर्षों का सबसे उच्च स्तर है। कंपनियों का मानना है कि ट्रंप टैरिफ इस समस्या का एक मुख्य कारण है, जबकि महंगाई ने स्थिति को और अधिक बिगाड़ दिया है।
दिवालियापन मामलों का बढ़ता आंकड़ा
एक रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में अमेरिका में दिवालियापन के मामलों में काफी वृद्धि हुई है, जो महामंदी के बाद के स्तरों के बराबर है। S&P ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस के आंकड़ों में दिखाया गया है कि जनवरी से नवंबर के बीच 717 कंपनियों ने दिवालियापन के लिए आवेदन किया। यह पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 14% अधिक है और 2010 के बाद से सबसे अधिक है।
आयात पर निर्भर व्यवसायों की कठिनाई
अमेरिकी कंपनियों, जो आयात पर आने वाली लागतों का सामना कर रही हैं, को इस समय सबसे अधिक टैरिफ का सामना करना पड़ा है। दिवालियापन के मामलों में सबसे अधिक वृद्धि औद्योगिक क्षेत्र में देखी गई है, जिसमें निर्माण और विनिर्माण कंपनियाँ शामिल हैं। अर्थशास्त्री इस स्थिति को एक विरोधाभास मानते हैं और कहते हैं कि कई व्यवसाय टैरिफ और अन्य खर्चों के दबाव में हैं।
महंगाई और ब्याज दरों का प्रभाव
दिवालियापन के लिए आवेदन देने वाली कंपनियों ने महंगाई और ब्याज दरों को अपनी वित्तीय चुनौतियों का मुख्य कारण बताया है। इसके अलावा, ट्रंप प्रशासन की व्यापार नीतियों ने भी स्प्लाई चेन को बाधित किया है, जिससे लागत में वृद्धि हुई है।
ट्रंप के दावों पर सवाल
डोनाल्ड ट्रंप की लगातार बदलती टैरिफ नीतियों ने कई क्षेत्रों को प्रभावित किया है। जबकि ट्रंप यह दावा करते रहे हैं कि इससे अमेरिकी विनिर्माण क्षेत्र मजबूत हो रहा है, नवंबर में समाप्त हुई अवधि में इस क्षेत्र में 70,000 से अधिक नौकरियों का नुकसान हुआ है। इस प्रकार, उनके दावे निराधार प्रतीत हो रहे हैं।
महामारी के बाद दिवालियापन में वृद्धि
2025 की पहली छमाही में दिवालियापन मामलों में बड़ी वृद्धि देखी गई। इस दौरान 1 अरब डॉलर से अधिक की संपत्ति वाली कई कंपनियों ने दिवालियापन के लिए आवेदन किया। कॉर्नरस्टोन रिसर्च की रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी से जून तक ऐसे 17 मामले सामने आए, जो महामारी के बाद कभी नहीं देखे गए।
आर्थिकी की समझदारी
विश्लेषकों का कहना है कि व्यापार युद्धों ने आयात पर निर्भर व्यवसायों को मजबूर किया है कि वे उपभोक्ताओं की नाराजगी का सामना करने से बचने के लिए अपनी कीमतें बढ़ाने में हिचकिचाएँ। येल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने बताया कि दिवालियापन के आवेदन देने वाली कंपनियां महंगाई के संकट से पूरी तरह वाकिफ हैं और लागत में कमी के प्रयास कर रही हैं। व्हाइट हाउस ने इस पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है।
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