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महबूबा मुफ्ती का महत्वपूर्ण बयान
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने जेलों में कैदियों के स्थानांतरण के संबंध में एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय द्वारा उनकी जनहित याचिका को खारिज करना अत्यंत आश्चर्यजनक है। महबूबा मुफ्ती का कहना है कि इस याचिका में स्थानीय कैदियों को उनके घरों के निकट स्थानांतरित करने का आग्रह किया गया था, जिसे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास मानते हुए खारिज कर दिया।
अदालत के फैसले पर महबूबा की प्रतिक्रिया
महबूबा ने श्रीनगर में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा कि अदालत का निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण और अविश्वसनीय है। उन्होंने यह भी बताया कि न्यायालय का तर्क उनकी राजनीतिक पहचान को ध्यान में रखते हुए किया गया। उन्होंने कहा, “मैं जम्मू-कश्मीर के नागरिकों की समस्याओं से भली-भांति अवगत हूं। गरीब परिवार अपने बंदी रिश्तेदारों से मिल नहीं सकते और उनके लिए अपनी कानूनी लड़ाई लड़ना मुश्किल हो रहा है।” महबूबा ने यह भी प्रश्न उठाया कि अदालत ने इस मुद्दे पर स्वतः संज्ञान क्यों नहीं लिया।
महबूबा मुफ्ती की नाराजगी के कारण
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अदालत को उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों की गंभीरता को समझने की आवश्यकता है। उनका आरोप है कि उच्च न्यायालय ने उनके चरित्र पर कलंक लगाने का प्रयास किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि एक राजनीतिक नेता होने के नाते, उन्हें समाजहित के मुद्दों को उठाने का पूरा अधिकार है। महबूबा ने अदालत से अपेक्षा की कि वह अधिक सक्रियता दिखाए और सरकार से पूछे कि विचाराधीन कैदियों की संख्या क्या है और उन्हें किन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
कुलदीप सिंह सेंगर मामले पर टिप्पणी
महबूबा मुफ्ती ने भाजपा के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के मामले पर भी विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी इस मुद्दे को समाप्त नहीं होने देगी। महबूबा ने आरोप लगाया कि न्यायपालिका का राजनीतिकरण हो गया है। हालाँकि, उन्होंने यह मानते हुए भी कहा कि कुछ न्यायाधीश अब भी सच्चाई के रास्ते पर चलने के लिए तैयार हैं। उन्होंने सूरजपुर जिला न्यायालय की एक हालिया सुनवाई का उदाहरण देते हुए कहा कि न्यायधीश सौरभ द्विवेदी ने उचित निर्णय लेकर सरकार के दबाव को ठुकराया। इस प्रकार, उनका कहना था कि न्यायाधीशों की स्थिति में भिन्नता स्पष्ट है।
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