Table of Contents
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की केंद्रीय सरना समिति के प्रतिनिधियों से मुलाकात
रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार को अपने कांके रोड स्थित आवास पर केंद्रीय सरना समिति, राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा और आदिवासी बालक-बालिका छात्रावास रांची के प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया। इस दौरान प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने राज्य सरकार द्वारा पेसा नियमावली के मंत्रिपरिषद से स्वीकृति पर मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। ढोल-नगाड़ों की धुन पर आए इस प्रतिनिधिमंडल ने सरकार के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट की।
राज्य के आदिवासी-मूलवासी का संघर्ष
मुख्यमंत्री ने उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कहा कि झारखंड के आदिवासी समुदाय ने अपने जल, जंगल, और जमीन के संरक्षण के लिए अनेक संघर्ष किए हैं। उन्होंने कहा कि पूर्वजों ने कई नियम-कायदे बनाए, लेकिन कुछ ऐसे भी रहे जिनका प्रभाव नकारात्मक रहा। ऐसे मामलों में भी हमारे पूर्वजों ने सुधार के लिए कठिन संघर्ष किया।
झारखंड की संस्कृति और बलिदान
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड की संस्कृति और सभ्यता की रक्षा के लिए बलिदान देने वाले वीर सपूतों का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य की स्थापना के लिए लंबे संघर्ष के बाद इसे वर्ष 2000 में स्थापित किया गया। इसके बावजूद यहां के आदिवासी समुदाय के अधिकारों पर कई बार संकट आया है। मुख्यमंत्री ने विश्वास दिलाया कि राज्य की जिम्मेदारी निभाने के लिए वह पूरी मेहनत करेंगे और उनके पास निरंतर जनसमर्थन है।
पेसा कानून की महत्वता
मुख्यमंत्री ने पेसा कानून को जनजातीय स्वशासन और सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि इस कानून के माध्यम से जनजातीय क्षेत्र की ग्राम सभाओं को निर्णय लेने की शक्ति प्राप्त होगी, जो उनके अधिकार को मज़बूत करेगी। यह कानून राज्य के समग्र विकास में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
आर्थिक अवसरों का सृजन
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड तेजी से प्रगति की ओर बढ़ रहा है। हाल ही में सरकार ने करीब 10 हजार युवाओं को सरकारी नौकरी दी है। आगे भी विभिन्न रोजगार के अवसर बहाल किए जाएंगे। उन्होंने उपस्थित लोगों से आग्रह किया कि पेसा नियमावली और अन्य नीतियों की जानकारी रखना आवश्यक है, ताकि इसका लाभ समाज के आखिरी व्यक्ति तक पहुंच सके।
ग्रामीणों की सुरक्षा का संकल्प
मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ लोग ग्रामीणों को गलत दिशा में ले जाने का प्रयास करते हैं। इसलिए नीतियों की पूर्ण जानकारी होना जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार गांव की सरकार है, और तभी राज्य की मजबूती सुनिश्चित हो सकेगी। इस तरह का उत्साह और समर्थन उन्हें और भी अधिक काम करने के लिए प्रेरित करता है।
प्रतिनिधियों की उपस्थिति
इस अवसर पर केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की, सचिव रूपचंद केवट, राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा के महासचिव जलेश्वर उरांव सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे। सभी ने उत्साहपूर्वक कार्यक्रम में भाग लिया और अपनी भावनाएं व्यक्त कीं।
Have any thoughts?
Share your reaction or leave a quick response — we’d love to hear what you think!
