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आशा भोसले: एक सिंगिंग आइकन की दर्द भरी कहानी
बॉलीवुड की चमक-दमक से भरी दुनिया की अपनी एक अलग सच्चाई है, जो आम दर्शकों से छिपी रहती है। ऐसी ही कहानी है प्रसिद्ध सिंगर आशा भोसले की। उनकी सुरीली आवाज ने करोड़ों दिलों में जगह बनाई, लेकिन उनकी व्यक्तिगत जीवन ने कई दर्दनाक पल देखे हैं।
निजी जीवन में संघर्ष
आशा भोसले का जीवन एक लंबे संघर्ष का प्रतीक है। उन्होंने अपने पति से कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उस पल का दर्द अलग था जब उन्होंने अपने जवान बेटे और बेटी को खो दिया। आशा, जिन्हें हम अपने लोकप्रिय गानों जैसे ‘ओ हसीना जुल्फों वाली’ और ‘चुरा लिया है तुमने जो दिल को’ के लिए जानते हैं, ने 12,000 से अधिक गाने गाकर हिंदी संगीत उद्योग को समृद्ध किया है।
बायोग्राफी में खुलासे
हाल ही में उनकी बायोग्राफी ‘आशा भोसले: A Life In Music’ ने उन्हें फिर से सुर्खियों में ला दिया। इस किताब में उन्होंने पहले विवाह की कठिनाइयों का सामना करते हुए अपने अनुभव साझा किए। आशा ने अपनी पहली शादी अपने परिवार के विरोध के बावजूद की, जो केवल 16 साल की उम्र में हुई थी। उनका पति गणपत राव भोसले गुस्से वाले स्वभाव के लिए जाने जाते थे और उनके साथ रिश्ते में कई परेशानियां रही थीं।
दुखद अनुभव
आशा भोसले ने अपने पति के साथ विवादों के बारे में बात की और बताया कि कैसे उन्होंने व्यक्तिगत सम्मान बनाए रखा। एक समय ऐसा आया जब उन्हें जीवन खत्म करने का विचार आया, लेकिन अपने बच्चे के लिए उनका प्रेम उन्हें फिर से जीने की प्रेरणा दी। अपनी पहली शादी से तीन बच्चे होने के बाद भी उनका तलाक हो गया। इसके बाद, उन्होंने 1980 में प्रसिद्ध संगीतकार आरडी बर्मन से दोबारा शादी की।
परिवार में और भी दुख
आशा की बेटी वर्षा के आत्महत्या के प्रयास ने उनके लिए एक और बड़ा घाव दिया। वर्षा की मौत और बड़े बेटे हेमंत की कैंसर से हुई मौत ने आशा की जिंदगी में दुखों के पहाड़ को बढ़ा दिया है। इन परिस्थितियों ने उन्हें मानसिक रूप से तोड़ दिया, लेकिन उन्होंने हमेशा अपने करियर पर ध्यान केंद्रित किया।
संगीत की दुनिया में सफलता
आशा भोसले का करियर 1950 के दशक से शुरू हुआ और अब तक जारी है। उन्होंने न केवल हिंदी, बल्कि 20 से अधिक भारतीय और विदेशी भाषाओं में गाने गाए हैं। उनके करियर में उन्हें कई अवार्ड मिले हैं, जिनमें 7 फिल्मफेयर अवार्ड और दादा साहेब फाल्के अवार्ड शामिल हैं।
समस्याओं के बावजूद सफलता
हलांकि, आशा और उनकी बहन लता मंगेशकर के बीच कभी-कभी की गई तुलना ने उन्हें विवाद में डाल दिया। लेकिन दोनों बहनों ने कभी इस पर खुलकर बात नहीं की।
खानपान में भी कौशल
सिर्फ सिंगिंग में ही नहीं, बल्कि वे एक बेहतरीन रसोइया भी हैं। उनके नाम से कई रेस्तरां दुबई, कुवैत में खुले हैं। उन्होंने 2002 में अपना पहला रेस्तरां ‘आशाज’ खोला था, जो आज भी सफलतापूर्वक चल रहा है।
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