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झारखंड हाई कोर्ट ने रिम्स अस्पताल की जमीन पर अवैध कब्जे का मामला उठाया
रांची: झारखंड उच्च न्यायालय ने रांची के रिम्स अस्पताल की भूमि पर हुए अवैध अतिक्रमण को गंभीरता से लिया है। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने अतिक्रमण हटाने का आदेश बरकरार रखा और दोषी अधिकारियों के खिलाफ एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) से जांच कराने का निर्देश दिया है।
अधिकारियों की मिलीभगत पर आक्रोश
कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि जिन अधिकारियों की सहानिभूतियों से सरकारी जमीन पर अनधिकृत निर्माण हुए, उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर गहन जांच की जाए। इसमें ऐसे अधिकारी शामिल होंगे जिन्होंने राजस्व रिकॉर्ड में हेराफेरी की, सरकारी भूमि को निजी नामों पर दर्ज किया, किराया रसीदें या ऋण मुक्ति प्रमाणपत्र जारी किए और भवन नक्शों की स्वीकृति दी।
मुआवजे का प्रावधान
न्यायालय ने यह भी निर्देश दिए हैं कि अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया के दौरान जिन लोगों के मकान या इमारतें ध्वस्त की जा रही हैं, उन्हें मुआवजा प्रदान किया जाए। हालांकि, यह राशि सरकार द्वारा नहीं, बल्कि दोषी अधिकारियों और सम्बंधित बिल्डरों से वसूली जाएगी।
रिम्स की भूमि पर अतिक्रमण की जानकारी
खंडपीठ ने बताया कि रिम्स की 1964-65 में अधिग्रहित हुई सात एकड़ से अधिक भूमि पर व्यापक पैमाने पर अवैध कब्जा किया गया है। इस भूमि पर मंदिर, दुकानें, पार्क, और यहां तक कि मल्टीस्टोरी अपार्टमेंट भी बनाए गए हैं। अदालत ने कहा कि इन अवैध निर्माणों में फ्लैट्स की बिक्री होना अत्यंत गंभीर मामला है।
अधिकारियों की लापरवाही पर सवाल
न्यायालय ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि जब इस पैमाने पर निर्माण चल रहा था, तब रिम्स प्रशासन और जिला प्रशासन क्या कर रहा था। कोर्ट ने इसे अधिकारियों की स्पष्ट लापरवाही और मिलीभगत का परिणाम माना।
अगले कदम
अदालत के आदेश के अनुपालन में, एसीबी को संबंधित अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर जांच आरंभ करनी होगी। हाई कोर्ट का यह आदेश सरकारी भूमि पर हो रहे अतिक्रमण के खिलाफ एक महत्वपूर्ण और कठोर कदम के रूप में देखा जा रहा है।
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