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पिपरवार में टीएसपीसी की धमकी से कोयला परिवहन प्रभावित
रांची: पिपरवार में टीएसपीसी के आतंक के कारण कोयला परिवहन में गंभीर बाधा आई है। अशोक परियोजना में लगातार दूसरे दिन रोड सेल बंद रहने से सन्नाटा छाया हुआ है। टीएसपीसी की चेतावनी ने कोयला कारोबारियों और श्रमिकों में भय का माहौल उत्पन्न कर दिया है, जिससे परियोजना का कार्य ठप हो गया है। पुलिस ने शुक्रवार को टीएसपीसी के उग्रवादी सलमान खान को हथियार सहित गिरफ्तार किया, लेकिन इसके बावजूद इलाके में डर का माहौल बना हुआ है।
टीएसपीसी की धमकी का असर
पिपरवार कोयलांचल क्षेत्र में टीएसपीसी के एक पत्र द्वारा व्यापारियों और ट्रांसपोर्टरों में भय उत्पन्न हुआ है। संगठन के एक सब-जोनल कमांडर द्वारा जारी चेतावनी में बताया गया है कि बिना स्वीकृति के कोयला उठाने वाले लोगों को गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। इस धमकी के चलते अशोक परियोजना का रोड सेल पूरी तरह बंद हो गया है, जिससे किसानों और ट्रांसपोर्टरों के कार्य में रुकावट आ रही है। लगातार दूसरे दिन परियोजना क्षेत्र में कोई भी ट्रक कोयला लोड करने नहीं आया।
आर्थिक गतिविधियों पर संकट
रोड सेल के ठप होने से अशोक परियोजना का कांटा घर भी बंद रहा। हर रोज सैकड़ों टन कोयले का डिस्पैच रुकने से निजी कारोबारियों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। साथ ही, सीसीएल को भी राजस्व का बड़ा नुकसान होता दिख रहा है। कोयला कारोबारियों का कहना है कि इस अनिश्चितता के कारण उनके लिए काम करना जान जोखिम में डालने जैसा है। जब तक प्रशासन और सीसीएल से सुरक्षा की पुख्ता गारंटी नहीं मिलती, तब तक जीर्ण-शीर्ण स्थिति का रहना तय है।
सुरक्षा बलों की तैनाती
हालात को देखते हुए अशोक परियोजना के कांटा घर और संवेदनशील रास्तों पर सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। सीसीएल के सुरक्षा कर्मियों और सीआईएसएफ के जवानों ने क्षेत्र में निगरानी बढ़ा दी है, लेकिन फिर भी उग्रवादियों का खौफ काम करने वालों के मन से खत्म नहीं हो रहा है। क्षेत्र के लोग मानते हैं कि केवल सुरक्षा बलों की मौजूदगी पर्याप्त नहीं है, बल्कि अपराधियों के खिलाफ ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। पुलिस प्रशासन घटनाक्रम पर नज़र रखे हुए है और पर्चे के सत्यापन की प्रक्रिया में है, लेकिन अब भी अनिश्चितता जारी है।
स्थानीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
पिपरवार क्षेत्र की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा कोयला कारोबार पर निर्भर है। यदि यह गतिरोध जल्दी समाप्त नहीं होता है, तो इसका व्यापक प्रभाव स्थानीय श्रमिकों की आजीविका और अन्य आर्थिक गतिविधियों पर पड़ेगा। कोयले के उठाव में रुकावट से सड़क पर ट्रकों की लंबी कतारें लग गई हैं और परिवहन से जुड़े हजारों लोग अपने कार्य का शुरू होने का इंतज़ार कर रहे हैं। प्रशासन और प्रबंधन के पास यह चुनौती है कि वे कैसे इस स्थिति को सुलझाकर काम को पुनः सुचारू रूप से शुरू करवा सकें।
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