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संसद की प्रासंगिकता कम होती जा रही है: कपिल सिब्बल
नई दिल्ली। राज्यसभा के सदस्य कपिल सिब्बल ने हाल ही में यह बताया कि संसद की महत्वता धीरे-धीरे घट रही है। उनका कहना है कि वर्तमान सत्ता में बैठे लोगों के लिए संसद के मुद्दे अब अधिक मायने नहीं रखते, और वे केवल उन विषयों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जो इस समय के लिए अप्रासंगिक हैं। सिब्बल ने चेतावनी दी कि यह प्रवृत्ति लोकतंत्र के लिए खतरनाक हो सकती है, क्योंकि एसे मामलों पर चर्चा नहीं की जा रही जो वास्तव में महत्वपूर्ण हैं।
संसद की बैठकें और मुद्दे
कपिल सिब्बल के अनुसार, “मैं मानता हूं कि संसद की प्रासंगिकता कम हो रही है। बैठकें अब कम होती हैं और जनमानस का विश्वास है कि संसद में कोई महत्वपूर्ण कार्य नहीं हो रहा है। यह लोकतंत्र के लिए एक चिंताजनक स्थिति है, क्योंकि यहां वास्तविक मुद्दों पर चर्चा नहीं हो रही।” उन्होंने उल्लेख किया कि हाल में शीतकालीन सत्र 1 से 19 दिसंबर तक आयोजित हुआ, जिसमें केवल 15 बैठकें हुईं।
शीतकालीन सत्र पर सिब्बल की टिप्पणियाँ
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, “जब हम पहले संसद में थे, तब शीतकालीन सत्र 20 नवंबर को प्रारंभ होता था। 2017 में 13 बैठकें, 2022 में 13 और 2023 में 14 बैठकें हुईं। यदि यह स्थिति बनी रही तो जरूरी चर्चाएँ होने की संभावना कम होगी। ऐसा लगता है कि सत्ता के पास संसद की कोई प्राथमिकता नहीं है।” सिब्बल ने बताया कि विपक्ष एसआईआर (मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण) पर चर्चा करना चाहता है, जो वर्तमान में देश का एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। हालांकि, सरकार ने इसे आगे बढ़ाने के लिए वंदे मातरम् पर चर्चा करने की शर्त रखी है।
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