Table of Contents
राधिका आप्टे की सुरक्षा को लेकर चिंताएं: बढ़ती ग्राफिक हिंसा पर जताई नाराजगी
भारतीय सिनेमा और वेब शो में ग्राफिक हिंसा की बढ़ती प्रवृत्ति पर बहस तेज हो गई है। इसी बीच, अभिनेत्री राधिका आप्टे ने इस मुद्दे पर अपनी चिंताओं का खुलासा किया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि आजकल जिस तरह से हिंसा को एंटरटेनमेंट के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है, वह उनके लिए गंभीर चिंता का विषय है। इसने समाज विशेषकर बच्चों पर होने वाले प्रभाव के प्रति उनकी गहरी चिंता को भी रेखांकित किया है।
एक इंटरव्यू में, द हॉलीवुड रिपोर्टर इंडिया से बातचीत करते हुए राधिका ने मौजूदा सिनेमा और कंटेंट ट्रेंड्स पर नाराजगी जताई। फिल्मों से कुछ समय के लिए ब्रेक पर रहने वाली राधिका ने कहा कि स्क्रीन पर दिखाई जा रही हिंसा बहुत ही परेशान कर देने वाली है।
सिनेमा और कंटेंट ट्रेंड्स पर राधिका का दृष्टिकोण
राधिका आप्टे ने कहा, “मैं इस समय हो रही हिंसा से बहुत परेशान हूं, जिसे एंटरटेनमेंट के तौर पर बेचा जा रहा है। मैं नहीं चाहती कि मेरे बच्चे ऐसी दुनिया में बड़े हों जहाँ हिंसा मनोरंजन का हिस्सा हो। यह मेरे लिए असहनीय है।” उनका यह बयान उस प्रवृत्ति की आलोचना करता है, जहां हिंसा को स्टाइल और रोमांच के साथ प्रदर्शित किया जा रहा है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी किरदार की क्रूरता को दर्शाने के लिए बार-बार हत्या और खून-खराबा दिखाने की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा, “अगर मैं किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में बताना चाहती हूं, जो लोगों को मारता है, तो मुझे उसे लोगों को मारते हुए दिखाने की आवश्यकता नहीं है। यह कहानी सुनाने का सही तरीका नहीं है। समाज पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है, और मैं चिंतित हूं कि क्या बेचा जा रहा है।” उनका मानना है कि हिंसा को कहानीपरकता के नाम पर दिखाना सिनेमा की मूल भावना के खिलाफ है।
धुरंधर जैसी फिल्मों पर इशारा
हालाँकि राधिका ने किसी विशेष फिल्म का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका बयान ऐसे समय में आया है जब रणवीर सिंह की फिल्म धुरंधर भी हिंसा और प्रोपेगेंडा के मुद्दे पर चर्चा का केंद्र बनी हुई है। धुरंधर भारत-पाकिस्तान संघर्ष और आतंकवाद जैसे संवेदनशील विषयों पर आधारित है, जिसमें कई ग्राफिक दृश्य शामिल हैं। इस संदर्भ में, राधिका का यह बयान मौजूदा ट्रेंड को लेकर सवाल उठाता है।
Have any thoughts?
Share your reaction or leave a quick response — we’d love to hear what you think!
