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अभिषेक शर्मा: युवा ओपनर का सफल सफर
नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम के प्रतिभाशाली ओपनर अभिषेक शर्मा ने हाल ही में टी-20 क्रिकेट में अपनी शक्तिशाली बल्लेबाजी से सभी का ध्यान आकर्षित किया है। लगातार छक्के मारने वाले इस बाएं हाथ के बल्लेबाज को अब फैंस ‘सिक्सर किंग’ के नाम से जानने लगे हैं।
लेकिन अभिषेक शर्मा की यह सफलता रातोंरात नहीं आई है। इसके पीछे सालों की मेहनत, अनुशासन और कई महत्वपूर्ण लोगों का सहयोग है। आइए, हम जानते हैं अभिषेक शर्मा की सफलता के पीछे की असली कहानी।
सुबह की प्रेरणादायक दिनचर्या
अभिषेक के पिता और उनके पहले कोच राजकुमार शर्मा के अनुसार, उनकी दिनचर्या सुबह चार बजे शुरू होती थी। जब वह 13-14 साल के थे, तब भी वह सुबह सवेरे जिम, दौड़, स्विमिंग और फिटनेस ट्रेनिंग करते थे। इसके बाद वो घंटों तक नेट पर बल्लेबाजी करते थे, और शाम को भी थकावट नहीं महसूस करते थे।
बचपन से ही छक्के मारने की कला
पंजाब के जूनियर कोच अरुण बेदी आज भी आश्चर्यचकित हैं कि इतनी कम उम्र में अभिषेक कितने बड़े छक्के मार देते थे। उन्होंने कहा, ‘बच्चे उस उम्र में सिर्फ बॉल को बल्ले पर लगाना सीख रहे होते हैं, जबकि अभिषेक तो लॉफ्टेड छक्के मार रहा था।’ उनकी बैटिंग में इतनी निपुणता थी कि वह गेंद को स्टैंड के बाहर भेजने में सक्षम थे।
युवराज सिंह का सहयोग
लॉकडाउन के दौरान अभिषेक को एक अनमोल अवसर मिला, जब उन्होंने युवराज सिंह के साथ ट्रेनिंग की। युवराज न केवल उन्हें नेट्स में स्कूलिंग देते थे, बल्कि आज भी अभिषेक की गलतियों पर फोन करके उन्हें सलाह देते हैं। अभिषेक के पिता राजकुमार ने साझा किया कि अभिषेक को युवराज से हमेशा एक सम्मानजनक डर रहता है।
इसके साथ ही अभिषेक ने युवराज के साथ गोल्फ खेलना भी शुरू किया। यह गोल्फ उनके बैट स्विंग और टाइमिंग को सुधारने में मददगार साबित हुआ। इस प्रशिक्षण का नतीजा है कि आज अभिषेक का बैट स्विंग दुनिया में सबसे बेहतरीन स्विंग्स में से एक माना जाता है।
सिर्फ 30 टी-20 मैचों में शानदार रिकॉर्ड
अंतरराष्ट्रीय टी-20 क्रिकेट में महज 30 मैच खेलकर 1000 से ज्यादा रन बनाना और नियमित तौर पर छक्के लगाना एक achievement है। यह सब उस बच्चे की मेहनत का परिणाम है जो चार बजे उठता था, गेंदें स्टैंड के बाहर भेजता था और अब भी अपने मेंटर युवराज से सीखने के लिए तत्पर रहता है।
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