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रांची की व्यवसायिक कोर्ट में आरपीसीएल की याचिका खारिज
रांची की व्यवसायिक कोर्ट में रामजी पावर कंपनी लिमिटेड (आरपीसीएल) द्वारा झारखंड ऊर्जा संचरण निगम लिमिटेड (जेयूएसएनएल) पर बकाया राशि पर ब्याज वसूलने की मांग को लेकर याचिका की सुनवाई हुई। अदालत ने जेयूएसएनएल के पक्ष को सुनने के बाद आरपीसीएल की याचिका को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि जब आर्बिट्रेशन में आरपीसीएल को मिली 44 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान हो चुका है, तब ब्याज देना उचित नहीं है। आरपीसीएल ने जेयूएसएनएल पर 100 करोड़ रुपये ब्याज की मांग की थी।
मामले का विवरण
आरपीसीएल द्वारा 2012 से 2025 तक की अवधि के लिए ब्याज देने की मांग की गई थी।सुनवाई के दौरान जेयूएसएनएल के अधिवक्ता मुकेश कुमार ने अदालत को बताया कि कंपनी को 2002 में झारखंड राज्य में बिजली संचरण का कार्य सौंपा गया था। हालांकि, कार्य पूरे न होने के कारण मामला आर्बिट्रेशन में चला गया।
आर्बिट्रेशन का परिणाम
आरपीसीएल को पहली बार आर्बिट्रेशन में हार का सामना करना पड़ा, जिसके बाद मामला पुनः आर्बिट्रेशन में भेजा गया, जहां कंपनी को 44 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान करने का आदेश दिया गया। जेयूएसएनएल ने आर्बिट्रेशन के आदेशानुसार पूरी रकम चुका दी। इसके बाद आरपीसीएल ने 2018 में व्यवसायिक कोर्ट में याचिका दाखिल कर, 2012 से 2025 तक ब्याज की मांग की।
राज्य की स्थिति
आरपीसीएल ने विभाग पर 100 करोड़ रुपये ब्याज देने का दावा किया। अदालत में प्रस्तुत उनके तर्क के अनुसार, जब आर्बिट्रेशन के आदेश पर 44 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया, तो ब्याज का मामला सिरे से खत्म हो जाता है। इस दलील को स्वीकार करते हुए अदालत ने आरपीसीएल की याचिका खारिज कर दी।
सीएम हेमंत सोरेन की पेशी
इस बीच, सीएम हेमंत सोरेन शनिवार को एमपी-एमएलए कोर्ट में पेश होने वाले हैं, जैसा कि झारखंड हाईकोर्ट ने निर्णय लिया है।
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