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रांची: 14 दिसंबर 1951 को बिहार के दो राज्यपाल निवास, जिन्हें उस समय गर्वमेंट हाउस कहा जाता था, का नाम बदलने का नोटिफिकेशन जारी किया गया। इसके बाद गर्वमेंट हाउस को राजभवन के नाम से जाना जाने लगा।
राजभवन का नाम परिवर्तन
झारखंड में राजभवन का नाम बदलने की प्रक्रिया के लिए राज्यपाल सचिवालय ने अधिसूचना जारी की है।
गर्वमेंट हाउस का नाम परिवर्तन की प्रक्रिया
आजाद भारत में गर्वमेंट हाउस का नाम बदलने की प्रक्रिया सरल नहीं थी। उस समय के प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने गर्वमेंट हाउस का नाम बदलने के लिए सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और राज्यपालों से चर्चा की। प्रत्येक संबंधित पदाधिकारी को उन्होंने व्यक्तिगत रूप से पत्र लिखा, जिसके बाद ही यह निर्णय लिया गया कि गर्वमेंट हाउस को राजभवन कहा जाएगा।
नेहरू का पत्र
नेहरू ने सभी मुख्यमंत्रियों को एक पत्र में लिखा, “आपने अवश्य देखा होगा कि नई दिल्ली स्थित गवर्नमेंट हाउस का नाम अब राष्ट्रपति भवन रख दिया गया है। एक राज्यपाल ने सुझाव दिया है कि उनके राज्य के गवर्नमेंट हाउस का नाम ‘राज्यपाल भवन’ रखा जाए। हमारा विचार है कि सभी राज्यों के सरकारी आवासों के लिए जो भी नाम अपनाया जाए, वह पूरे भारत में समान होना चाहिए और विभिन्न भाषाओं के अनुरूप भी।”
उन्होंने एक सुझाव दिया, “जिससे हम सहमत हैं—यह नाम ‘राज भवन’ होना चाहिए। यह नाम सरल है, आसानी से समझ में आने वाला है और विभिन्न राज्य भाषाओं के लिए उपयुक्त है। अतः हमारा सुझाव है कि यह नाम, अर्थात ‘राज भवन’, सभी राज्यपालों और राजप्रमुखों के आवासों पर लागू किया जाना चाहिए। अंतिम निर्णय से पहले मैं आपकी प्रतिक्रिया जानना चाहूँगा।”
भवदीय,
हस्ताक्षर: जवाहरलाल नेहरू
प्रति: सभी राज्यों के राज्यपाल एवं राजप्रमुख”
कैबिनेट की बैठक
नेहरू के पत्र लिखने से पहले एक कैबिनेट की बैठक भी हुई थी। इसमें यह निर्णय लिया गया कि सभी राज्यों में गर्वमेंट हाउस का नाम राजभवन रखा जाएगा। दिसंबर के महीने में बिहार के साथ-साथ अन्य राज्यों ने आधिकारिक तौर पर गर्वमेंट हाउस का नाम बदलने की अधिसूचना जारी की, जिसमें बिहार ने सबसे पहले इस संबंध में अधिसूचना जारी की थी।
हालांकि नेहरू चाहते थे कि गर्वमेंट हाउस को राज्यपाल भवन कहा जाए, लेकिन कई मुख्यमंत्रियों ने सुझाव दिया कि इसे राजभवन नाम दिया जाए, जिस पर नेहरू ने सहमति दे दी।
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